आदिवासी इलाके से मिली इस आम तस्वीर में पहचानिए खास को, गरीब के लिए उम्मीदों का चेहरा

रायपुर। छत्तीसगढ़ के आदिवासी इलाके जशपुर जिले के बगिया गांव की यह तस्वीर आम तस्वीरों की तरह सामान्य दिखाई पड़ती है। इसमें बेहद सामान्य परिवार की महिलाओं और पुरूषों के बीच एक ऐसा चेहरा भी है जो उनकी छोटी-छोटी समस्याओं के लिए बड़ी उम्मीद है और उसी बड़ी उम्मीद के साथ आसपास के लोग उनसे मिलने पहुंचते हैं। मेल-मुलाकात के बाद उनकी उम्मीदें पूरी भी हो रही हैं। हालांकि इन चेहरों में छिपे उम्मीदों के चेहरे को पहचाना हर किसी के लिए आसान नहीं है, क्योंकि वो ऐसा चेहरा है, जो तामझाम से दूर है। वीआईपी होते हुए भी वो सामान्य लोगों के बीच ऐसा घुला-मिला चेहरा है, जिसके पास न तो कोई लाव-लश्कर है और ही उन पर वीआईपी कल्चर का रंग चढ़ा है। इतनी भूमिका के बाद आपके मन में सवाल उठ रहा होगा कि हम आखिर किसकी बात कर रहे हैं। शायद छत्तीसगढ़ का जशपुर जिला और बगिया गांव का नाम सुनकर आप कुछ अंदाजा लगाने की स्थिति में हो, लेकिन थोड़ा इंतजार कीजिए। हम पूरी कहानी बताने जा रहे हैं, जिसमें आपको सारे सवालों के जवाब मिल जाएंगे। यह बात तो सभी जानते हैं कि जशपुर जिला और बगिया गांव आजकल इसलिए सुर्खियों में है, क्योंकि यह सूबे के मुखिया विष्णुदेव साय का गृह जिला व गांव है। अब आपको यह समझ आ रहा होगा, कि हम जिनकी बात कर रहे हैं, वो कोई और नहीं, बल्कि मुख्यमंत्री साय की धर्मपत्नी कौशल्या देवी हैं। यह नाम हमारे आपके लिए कुछ नया हो सकता है, लेकिन इलाके के गरीब आदिवासी महिलाओं-पुरूषों के लिए जाना पहचाना है, क्योंकि लोग बरसों से उनसे परिचित हैं।

 

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मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय को पद संभाले दो महीने से ज्यादा का वक्त गुजर चुका है, वे राजधानी रायपुर में रहकर शासन-प्रशासन के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को निभा रहे हैं। दूसरी तरफ, पत्नी धर्म को समझते हुए कौशल्या देवी गांव बगिया में उनका साथ दे रही हैं। मुख्यमंत्री बनने के बाद साय की तस्वीर और खबर तो रोजाना देखने-सुनने को मिलती है, लेकिन हमें यह तस्वीर संयोग से मिली। पिछले कुछ दिनों से कौशल्या देवी की दिनचर्या में लोगों से मेल-मुलाकात का नया काम शामिल हुआ है। शुक्रवार की यह कुछ तस्वीरें हैं। पूरे दिन उन्होंने 3 सौ से ज्यादा लोगों से मुलाकात की। उनकी छोटी-छोटी समस्याओं को सुनकर उन्हें दूर करने की कोशिश भी कर रही हैं।

 

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