केन्द्रीय बजट- टैक्स स्लैब में बदलाव नहीं, ऐसे समझें कितना लगेगा टैक्स
नई दिल्ली। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने साल 2024-25 का अंतरिम बजट पेश किया। बजट में इनकम टैक्स की स्लैब या दरों में कोई बदलाव नहीं गया है। नई और पुरानी टैक्स व्यवस्था ज्यों की त्यों लागू रहेगी। करदाताओं के लिए यह असमंजस का विषय जरूर होगा कि दोनों टैक्स रिजीम में से किसमें उन्हें ज़्यादा लाभ होने वाला है।
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साल 2023 के आम बजट में टैक्स रिजीम (Income Tax Regime) से जुड़े नियमों में बदलाव किया गया था। वित्तमंत्री ने नई टैक्स व्यवस्था को डीफ़ॉल्ट व्यवस्था घोषित कर दिया था, लेकिन पुरानी टैक्स व्यवस्था को खत्म नहीं किया था। करदाता अब भी पुरानी टैक्स व्यवस्था को चुन सकेंगे। इस व्यवस्था के तहत लाइफ इंश्योरेंस, PPF, बच्चों की स्कूल फ़ीस आदि के अलावा होम लोन पर ब्याज़, नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) या मकान किराया भत्ता जैसी छूट हासिल करते रहने के इच्छुक लोग पुरानी दरों पर ही टैक्स जमा कराते रह सकेंगे।
आइए पुरानी कर व्यवस्था और नई कर व्यवस्था में बनने वाले टैक्स का समझने की कोशिश करते हैं। चार ऐसे नौकरीपेशा जिनकी आय क्रमशः 7 लाख रुपए वार्षिक, 10 लाख रुपए वार्षिक, 12 लाख रुपए वार्षिक तथा 15 लाख रुपए वार्षिक हैं। ये लोग इनकम टैक्स एक्ट की धारा 80सी के तहत मिलने वाली छूट, मकान किराया भत्ते या होम लोन के ब्याज़ के तौर पर मिलने वाली छूट, NPS के अंतर्गत ली जाने वाली छूट आदि भी हासिल करते हैं, तो किस व्यवस्था में किसे कितना टैक्स देना होगा।
पुरानी टैक्स व्यवस्था में आप देखेंगे, चारों लोगों को मानक कटौती का लाभ मिला है, धारा 80सी के तहत भी चारों ने ही अधिकतम बचत की है, चारों ही लोगों ने NPS में भी 50,000 रुपए का निवेश किया है, और मकान किराया भत्ता या होम लोन पर चुकाए गए ब्याज पर भी छूट हासिल की है, तो पुरानी टैक्स व्यवस्था में 7 लाख रुपये वार्षिक आय वाले पहले शख्स की कर योग्य आय सभी तरह की छूट पाने के बाद 3,70,000 रुपए रह गई है, जिस पर उसकी कर देनदारी 6,240 रुपए होने के बावजूद इनकम टैक्स एक्ट की धारा 87ए के तहत मिली छूट के बाद शून्य हो गई।
कुल 4 लाख रुपये की कटौतियों और छूट के बाद 10 लाख रुपये वार्षिक आय वाले दूसरे शख्स की करयोग्य आय 6,00,000 रुपए रह जाती है, जिस पर उसे 33,800 रुपये का इनकम टैक्स चुकाना होता है। इसी प्रकार, छूट और कटौतियों को समाहित करने वाली पुरानी व्यवस्था में 12 लाख रुपये और 15 लाख रुपये प्रति वर्ष कमाने वाले लोगों को भी क्रमशः 75,400 रुपये और 1,06,600 रुपए का इनकम टैक्स देना होगा।
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नई टैक्स व्यवस्था में फिर एक बार इन्हीं चार लोगों के इनकम टैक्स की कैलकुलेशन की गई है, लेकिन इस बार इन्हें मानक कटौती का लाभ मिलेगा, और इसके अलावा धारा 87ए की छूट सीमा बढ़ाए जाने व नई दरों की बदौलत 7 लाख रुपये वार्षिक आय वाले शख्स को एक बार फिर कोई कर नहीं देना होगा। 10 लाख रुपये वार्षिक आय वाले शख्स को 54,600 रुपये चुकाने होंगे, 12 लाख रुपये वार्षिक आय वाले शख्स को 85,800 रुपये इनकम टैक्स के रूप में देने होंगे, और 15 लाख रुपये वार्षिक आय वाले शख्स को कुल 1,45,600 रुपये का टैक्स अदा करना होगा।
अब आप देख सकते हैं कि अगर आप कटौतियों और छूट के मद में 2.5-3 लाख रुपए से ज़्यादा की छूट हासिल कर रहे हैं, तो पुरानी टैक्स व्यवस्था में बने रहने में आपको लाभ है, वरना फायदा नई टैक्स व्यवस्था को अपना लेने में ही है.