एक था मुख्तर अंसारी, जानिए इनसाइड स्टोरी
नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश की बांदा जेल में सजा काट रहे मुख़्तार अंसारी का दिल का दौरा पड़ने से गुरुवार शाम मृत्यु हो गई। अंसारी को जेल से गुरुवार की शाम रानी दुर्गावाती मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया था। 63 साल के मुख्तार अंसारी को उल्टी की शिकायत और बेहोशी की हालत में लाया गया था। नौ डॉक्टरों की टीम ने तत्काल मेडिकल सहायता उपलब्ध कराई लेकिन ‘कार्डियक अरेस्ट’ के कारण उनकी मृत्यु हो गई।
मुख्तार का जन्म 20 जून 1963 को मुहम्मदाबाद के पूर्व चेयरमैन सुबहानुल्लाह अंसारी के तीसरे पुत्र के रूप में हुआ था। मुख्तार के दादा मुख्तार अहमद अंसारी स्वतंत्रता सेनानी थे। वह 1926-27 में कांग्रेस के अध्यक्ष भी रहे। नाना बिग्रेडियर उस्मान आर्मी में थे और उन्हें उनकी वीरता के लिए महावीर चक्र से सम्मानित किया गया था। देश के पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी भी मुख्तार अंसारी के रिश्ते के चाचा हैं।
मुख्तार 80 के दशक में साधु-मकनू गिरोह से जुड़ा। साधु और मकनू को अपना गुरु मानकर जरायम जगत की बारीकियों को समझा और धीरे-धीरे खुद का अपना गैंग खड़ा कर माफिया सरगना बन गया। वर्ष 1997 में मुख्तार अंसारी का अंतरराज्यीय गिरोह (आईएस-191) पुलिस डोजियर में दर्ज किया गया। 25 अक्तूबर 2005 को मुख्तार जेल की सलाखों के पीछे गया तो फिर बाहर नहीं निकल पाया। इस बीच वर्ष 1996 से 2022 तक वह मऊ सदर विधानसभा से पांच बार लगातार विधायक चुना गया।
मुख्तार पर जनवरी, 2019 को मोहाली के एक बिल्डर की शिकायत पर पुलिस ने अंसारी के खिलाफ 10 करोड़ की रंगदारी मांगने का केस दर्ज किया गया था। मोहाली पुलिस मुख्तार अंसारी को प्रोडक्शन वारंट पर उत्तर प्रदेश से मोहाली लाई थी। उसे न्यायिक हिरासत में रोपड़ जेल भेज दिया गया था। वह 26 महीने तक रोपड़ जेल में रहा। दो साल में उत्तर प्रदेश पुलिस की टीम आठ बार अंसारी को लेने पंजाब गई, लेकिन हर बार सेहत, सुरक्षा और कोरोना का कारण बताकर पंजाब पुलिस ने सौंपने से इनकार कर दिया। कानपुर में बिकरू कांड के आरोपी विकास दुबे के एनकाउंटर के बाद अंसारी ने भी जान का खतरा बताया था। वहीं, विपक्ष ने आरोप लगाया था कि पंजाब में उसे जेल में सुविधाएं दी जा रही हैं। आखिरकार सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद उसे यूपी की बांदा जेल में शिफ्ट किया गया था।
मुख्तार पहली बार मऊ सदर विधानसभा से 1996 में बसपा के टिकट पर जीतकर विधानसभा पहुंचा था। इसके बाद 2002 और 2007 में निर्दल विधायक बना। फिर, कौमी एकता दल के नाम से अपनी नई पार्टी बनाया और 2012 का विधानसभा चुनाव जीता। वर्ष 2017 में मुख्तार अंसारी बसपा से चुनाव जीता। विधानसभा के आखिरी तीन चुनाव वह जेल में रहते हुए जीता।
मुख्तार के बड़े भाई अफजाल अंसारी ने गाजीपुर की मोहम्मदाबाद विधानसभा सीट से 1985 से 1996 तक लगातार 5 बार चुनाव जीता था। 2002 के चुनाव में भाजपा के कृष्णानंद राय ने अफजाल अंसारी को हरा दिया। तीन साल बाद 29 नवंबर 2005 को कृष्णानंद राय की हत्या कर दी गई। कृष्णानंद एक क्रिकेट टूर्नामेंट का उद्घाटन करने गए थे।
कहा जाता कि लौटते वक्त शूटर्स ने कृष्णानंद राय की कार को घेरकर एके-47 से 500 से ज्यादा गोलियां चलाई थीं। कृष्णानंद और उनके साथ मौजूद 6 लोग मारे गए। मुख्तार उस वक्त जेल में था, इसके बावजूद उसे इस हत्याकांड में नामजद किया गया।